क्या खबर है play
10-09-2024
विलुप्त नदियों को पुनर्जीवन देगा आईआईटी में विकसित मॉडल, दैनिक जागरण, नई दिल्ली, दिनांक: 10-09-202405-09-2024
जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भारत का योगदान विकसित देशो से ज्यादा, दैनिक जागरण, नई दिल्ली, दिनांक: 05-09-2004-09-2024
एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत रोपे 52 करोड़ पौधे, दैनिक जागरण, नई दिल्ली, दिनांक: 04-09-202411-08-2024
पीकेसी व ईआरसीपी की अब दिल्ली में बन रही नई डीपीआर, दैनिक भास्कर, जयपुर, दिनांक 11-08-202406-08-2024
'जल आंदोलन' से जुड़ा जनसमूह तो धरती मां को पानी लौटाने लगा देवास, दैनिक जागरण, नई दिल्ली, दिनांक 06-08-202429-07-2024
सूखी नदी को संकल्प से मिला नवजीवन, बदला 50 हज़ार लोगों का जीवन, दैनिक जागरण, नई दिल्ली, दिनांक 29-07-202429-07-2024
हिमालय में दिख रहा जलवायु परिवर्तन का असर, वांगचुक. नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली, दिनांक 29-07-202425-07-2024
पर्यावरण प्रहरी बनकर सतत विकास को गति दे रहा सीमा पर बसा गाँव, दैनिक जागरण, नई दिल्ली, दिनांक 25-07-202425-07-2024
आवंटन का बढ़ा ग्राफ, गंगा होगी तेज़ी से साफ, दैनिक जागरण, नई दिल्ली, 25-07-2024
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श्री भोपाल सिंह महानिदेशक, रा.ज.वि.अ.
केंद्रीय जल आयोग और तत्कालीन सिंचाई मंत्रालय (अब जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर)) द्वारा तैयार राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के प्रायद्वीपीय नदी विकास घटक को ठोस आकार देने एवं व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करने के लिए प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली के जल संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए वैज्ञानिक और यथार्थवादी आधार पर जल संतुलन और अन्य अध्ययन के लिए राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (राजविअ) की स्थापना जुलाई 1982 में सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत एक स्वायत्त सोसाइटी के रूप में की गई थी। वर्ष 1990 में, राजविअ को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के हिमालयी घटक का कार्य भी सौंपा गया था। वर्ष 2006 में यह निर्णय लिया गया था कि राजविअ अंतर-राज्यीय लिंकों की व्यवहार्यता का पता लगाएगा और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के अंतर्गत नदी लिंक प्रस्तावों की…...और देखें